कोरोना से बच्चों को बचाने के 33 टिप्स

 

 

कोरोना से बच्चों को  बचाने के 33 टिप्स

 

आज हमारा  देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व इस महामारी की चपेट में है। यही समय है अपनी और अपने परिवार की तरफ ध्यान देने का। हमें अपने बच्चों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखना है।

कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए हम यहाँ कुछ टिप्स बता रहे हैं :-

 

 

1    हम सभी ये जानते हैं कि विटामिन सी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। तो हमें अपने आहार में इसे  शामिल करना होगा।आप गुनगुने पानी में बच्चे को नींबू पानी बनाकर दे सकती हैं। इसमें मिश्री ( चीनी की जगह ) थोड़ा सा सेंदा या काला नमक मिलकर बनायें। मौसमी का जूस भी आप दे सकती है। पर ये अवश्य ध्यान रखें कि जूस ठंडा ना हो । और जिन बच्चों को बार बार जुकाम खांसी होता हो उन्हें जूस ना दें।

 

2        कीवी , टमाटर , संतरा , आलू , स्ट्रॉबेरी सभी मौसमी फल दिन में एक बार बच्चों को जरूर दें । ध्यान रखें फल खाने का समय 11से 2 के बीच होता है। टमाटर को सूप के रूप में देने से ज्यादा फायदा मिलता है।

 

3    विटामिन बी के लिए दूध की मात्रा निश्चित करें। दिन में कम से कम दो बार दूध जरूर दें। देसी गाय का दूध सबसे अच्छा होता है। दूध में थोड़ी हल्दी डालकर 2 से 5 मिनिट उबाल लें फिर बच्चे को दें। ध्यान रहे हल्दी शुद्ध हो । इसके लिए आप साबुत हल्दी मिक्सी में या बाजार से पिसवा कर ला सकते हैं। अगर आपको हल्दी वाले दूध का पूरा फायदा चाहिए तो हल्दी का शुद्ध होना बहुत जरुरी है। हल्दी का दूध आपके बच्चे के लिए पूरे साल का कवच सिद्ध होगा।

 

4    पिरिडाक्सिन बी साबुत अनाजों से मिलता है। दिन में एक बार किसी भी रूप में बच्चों को साबुत अनाज जरूर दें ।

 

5    विटामिन ए  बच्चों के लिए बहुत जरुरी है। उसके लिए दूध , घर का मक्खन , हरी सब्जियाँ बच्चों को खिलाने की आदत डालें।

 

6    प्रातः बच्चों को सूर्यनमस्कार 7 बार जरूर कराएं। ये बच्चों की  रोग प्रतिरोधक ( इम्युनिटी ) बढ़ाने में बहुत मदद करता है। हो सके तो खुद भी बच्चों के साथ में करें । इससे बच्चों में उत्साह आता है।

 

7    दिनचर्या में हर कार्य का समय निश्चित करें । सोने का , उठने का , खाने का , नाश्ते का , रात के भोजन का । आयुर्वेद के अनुसार जिस व्यक्ति का हर कार्य का समय निश्चित होता है वह 100 प्रतिशत किसी बीमारी से ग्रसित नहीं हो सकता है। और ये सच भी है । हमारे  बड़े बुजुर्ग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आज बहुत सी बीमारियाँ बच्चों से लेकर बड़ों तक आम हो गयी है।  पर हमारे दादा नाना अधिकतर स्वस्थ ही थे ।

 

8    निश्चित समय पर कार्य करने से बच्चों में भी अनुशासन अपने आप ही आ जाता है। और बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य केलिए बहुत अच्छी आदत है।

 

9    बच्चों को चने , मूंगफली , अखरोट , बादाम, किशमिश , मखाने थोड़ी मात्रा में दिन में एक बार जरूर दें।

 

10    कलोंजी इस वायरस से लड़ने में काफी मददगार है। अपनी सब्जी , चपाती या सूप में थोड़ी से कलोंजी जरूर शामिल करें बस

इसकी मात्रा कम ही रखे। कलोंजी कोरोना  से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।

 

11    बच्चों को मक्खन , श्रीखंड, मेंगो शेक , लस्सी , छाछ , नींबू पानी , सूप , जूस मौसम के अनुसार दें । सीधे फ्रिज की चीजें ना दें ।

 

12    जिन बच्चों को जुकाम बुखार बार बार होता हो उन्हें जूस ना दें । उन बच्चों के लिए  गर्म सूप सबसे अच्छा रहेगा ।

 

13    आम , चुकुन्दर और अनार को बच्चों की डाइट में जरूर शामिल करें ।

 

14    अंकुरित मूंग , योगर्ट , पनीर  , चना जैसे अनाज बच्चों को खिलाने की आदत डालें। सप्ताह में कम से कम 4 दिन अंकुरित अनाज

जरूर दें।

 

15    वायरस कभी भी वातावरण से जाता नहीं है। वो हमेशा अलग अलग तरीके से आता है। इससे सुरक्षा के लिए सबसे पहला और

महत्वपूर्ण कदम है मास्क और  इम्युनिटी । बच्चों को मास्क पहनने की प्रैक्टिस कराएं । साथ ही संतुलित और समय पर सात्विक भोजन

दें । मांसाहार भोजन पचाने में भारी होता है। हरी सब्जी फल या शाकाहार भोजन हल्का होता है जो कि शरीर के लिए ज्यादा स्वास्थप्रद

होता है।

 

16    बच्चों की डाइट से ब्रेड , पिज़्ज़ा , बर्गर , फ़ास्ट फ़ूड को निकाल  दें । ये बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते है। अगर बच्चे

इनकी डिमांड ज्यादा करें तो उन्हें 4 से 6 महीने में एक बार पार्टी के रूप में खिला सकती है।

 

17      जितना हो सके ताजा भोजन करें । फ्रिज में रखा हुआ भोजन जब गर्म होता है तो उसके तत्व नष्ट हो जाते है। ठंडा भोजन हमेशा

शरीर को नुकसान ही पहुँचता है।

 

18    अदरक को भी किसी न किसी रूप में आहार में शामिल करें । अदरक का सबसे ज्यादा फायदा अकेले सेवन करने पर या शहद

के साथ होता है।

 

19      बच्चों को गुब्बारे फुलाने के लिए दें । ये फेफड़ो के लिए  सबसे आसान व्यायाम है।

 

20    बच्चों को गुनगुना पानी पीने की आदत डालें । शुरुआत में बच्चे नहीं पीते हैं। लेकिन धीरे धीरे उनकी आदत हो जाती है। इसके लिए

सबसे अच्छा है कि परिवार के सदस्य भी उनके साथ गुनगुना पानी पीयें।

 

21    बच्चा अगर थोडा बड़ा है तो उसे ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराएं ।

 

22    रात को सोते समय हल्दी का दूध दें । ध्यान रखें हल्दी दूध में 5 मिनिट तक उबालें।

 

23    आप किसी भी धर्म से हो बच्चों को प्रार्थना , पूजा पाठ की आदत जरूर डालें।

 

24    शहद रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत अच्छा स्रोत है। बच्चों को थोड़ा सा गुड़ और शहद थोड़ी सी मात्रा में किसी भी रूप में

देना शुरू करें । अगर बच्चा ऐसे ही ले लेता है तो सबसे अच्छा है।

 

25    बच्चों को समय समय पर हाथ धोने की आदत डालें । 6 साल से ऊपर के बच्चों को मास्क पहनने की आदत डालें ।

 

26     ज्यादा से ज्यादा पानी  बच्चों को पिलायें। इसका सबसे अच्छा तरीका बच्चों की स्कूल की बोतल में गुनगुना पानी भर दे। बोतल के

प्रयोग से आपको पता रहेगा बच्चे ने दिन भर में कितना पानी पिया है।

 

27    बच्चों को मिटटी में जरूर खिलायें। कही से भी एक बाल्टी भरकर मिटटी मँगा लें। और उससे बच्चे को घर बनाना या जो उसे पसंद

हो वो बनाने दें । ये बच्चे को प्रकृति के पास तो लाएगा ही साथ ही उसकी इम्युनिटी भी अच्छी होगी ।

 

28    बच्चों के खेलने का समय निश्चित करे। और स्वयं भी उनके साथ समय निकलकर जरूर खेलें। इससे आपके और बच्चे के संबंधो में

बहुत मधुरता आएगी । साथ ही बच्चे  बहुत खुश और प्रसन्न होंगे ।

 

29    इस समय हर बच्चे में मानसिक बदलाव आया है। आप ये ना सोचें कि आप ही का बच्चा सुनता नहीं है, चिड़चिड़ा है, खाता नहीं है ।

ये  बदलाव आज पूरी दुनिया के बच्चों में आये हैं। शांति से सोचें और उसका हल निकालें। हर परिवार की अपनी अलग पृष्ठ भूमि होती

है। उसी के अनुसार हल खोजें।

 

30    रात के भोजन के बाद अपनी छत, बालकॉनी या कमरे में ही बच्चों के साथ 10 से 15 मिनिट टहलें । आप खुद महसूस करेंगे कि

बच्चे में परिवर्तन आ रहा है। साथ ही आपका और बच्चे का रिश्ता मजबूत हो रहा है।

 

31    बच्चों को टीवी , मोबाइल , लैपटॉप , टैब से जितना हो सके उतना दूर रखें। बच्चे अधिक चिड़चिड़े , गुस्सैल इन्ही गेजेट्स की वजह

से हो रहे हैं।

 

32    बच्चों को पेंटिंग , क्राफ्टिंग या कुछ ना कुछ काम देकर व्यस्त रखें । बच्चे की पसंद के अनुसार ही उसे काम करने दें।

 

33    कामकाजी माता पिता को अपना टाइम टेबल ऐसे बनाना चाहिए ताकि वो बारी बारी से बच्चे को समय दें सकें।

 

ना हमें घबराना हैं ना बच्चों को डराना है। अगर हमारे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो वायरस कैसा और कितना भी

खतरनाक हो वो नुकसान नहीं पंहुचा सकता है।

 

अंत में यही कहना चाहूंगी हम अकेले इस दुनिया में जी कर क्या करेंगे । जब उसमे हमारे बच्चे , बड़े  साथ ना हों। ये समय हमें रिश्तों की

कीमत , मानवता की कीमत सीखा रहा है। जिसे हमें सबसे पहले अपने परिवार से ही शुरू करना है। जो इसे समझ गया वो जीवन को

जीत लेगा ।

 

हम इसी प्रकार आपके लिए जानकारियाँ लाते रहेंगे । हमारे ब्लॉग से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद ।

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