गर्भवती महिला की दैनिक दिनचर्या

गर्भवती महिला की दैनिक जीवन की दिनचर्या

 

गर्भवती महिला अगर अपना और गर्भस्थ शिशु का स्वस्थ जीवन चाहती है तो उन्हें अपने दैनिक जीवन को थोड़ा अनुशासित

करना होगा। अगर आप समय पर उठती हैं, समय पर खाती हैं, समय पर सोती हैं , सभी काम समय पर करती हैं तो आपकी

पाचन क्रिया अच्छी रहती है। और आप स्फूर्तिवान महसूस करती हैं।

 

 

 

प्रातः काल उठना :-

अगर हो सके तो सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करें। मान लीजिये सूर्योदय 5:45 पर होता हैं तो आप 5:35 तक उठ जाएं।

आपने  एक कहावत तो सुनी होगी –

“early to bed early to rise makes a man healthy wealthy and wise”

इसका अर्थ है जल्दी उठने और सोने वाला व्यक्ति  बुद्धिमान , स्वस्थ और धनी होता है। एक व्यक्ति को जीवन में यही तीनों चीजे चाहिए

होती हैं । सबसे बड़ी बात जो गर्भवती गर्भावस्था में करती हैं वही बच्चे के संस्कार बनते है। आप अप्रत्यक्ष रूप से अपने बच्चे को ये आदतें

अभी से ही डाल रही हैं। जो उसके स्वास्थ के लिए भी उत्तम है। अब सवाल उठता  है कि कामकाजी महिलायें जो काम में व्यस्त रहती हैं

वो कैसे करें ? अगर आप पूरे 7 घंटे की  नींद लेती हैं तो कोई परेशानी नहीं है। लेकिन आपकी नींद पूरी नहीं हुई है तो पहले आप 7 घंटे

की पूरी नींद लें। अपने समयानुसार उठे।

इस समय अच्छी नींद लेना बहुत जरुरी है। जितना हो सके 6 बजे तक उठने की कोशिश करें। सुबह उठकर 2 से 5 मिनिट आंखे बंद

कर भगवान से प्रार्थना करें । मैं और मेरी संतान खुश है , स्वस्थ है , सुरक्षित है आपका धन्यवाद।

 

शौच :-

जब  आप सुबह जल्दी उठती है तो आपको  कब्ज की शिकायत भी काफी हद तक नहीं रहती है। सुबह वात का समय होने से

शरीर की गंदगी जल्दी बाहर आ जाती है।  उसके बाद हाथ मुँह धोना । गर्मी में ठन्डे और सर्दी में गर्म पानी से धोएं। फिर ब्रश

करें । हो सके तो कभी कभी दातुन भी करें । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका और यूरोप में नीम और बबूल  की

दातुन ऑनलाइन मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार ये बहुत फायदेमंद है। ये दांतो के व्यायाम के रूप में है।

 

आसान , ध्यान :-

सुबह उठते  ही हमें ताजगी और स्फूर्तिवान महसूस होता है। यही समय ध्यान के लिए सबसे अच्छा होता है। ध्यान से मन एकाग्र

होता है । मन में नकारात्मक विचार नहीं आते है। कम से कम आधा घंटा और ज्यादा से ज्यादा 1 घंटे ध्यान करें ।

वैसे दिन में जब समय मिले तब ध्यान कर सकते है। लेकिन सुबह का समय ध्यान के लिए सबसे बढ़िया रहता है।  तीसरी तिमाही

में शरीर का वजन बढ़ जाता है तो इतनी देर न बैठें। 15 से 20 मिनिट का ध्यान करें फिर आराम करें । ऐसे टुकड़ो में ध्यान करें ।

 

सुबह का पेय ( उषः पान ) :-

गर्भावस्था  में सुबह उठते ही चाय पीने  की आदत छोड़ दें। खाली पेट चाय एसिडिटी , जलन को और बड़ा देती है। चाय पित्त

को बढ़ाती है।

आयुर्वेद के अनुसार पानी में शहद , दूध के साथ शहद , दूध ले सकती हैं। शहद उल्टियाँ कम करने में सहायता करता है। जिन्हें

सुबह पानी या कुछ भी पीने से उल्टियाँ होती हैं , उन्हें सूखे बिस्किट्स या खील खाकर दूध घूँट घूँट करके  पीना चाहिए। आयुर्वेद के

अनुसार अक्टूबर और गर्मी में गर्भवती शहद न लें।

 

व्यायाम और प्राणायाम :-

जब आप सुबह दूध पी लें तो उसके आधे से एक घंटे बाद व्यायाम या प्राणायाम करें। जो भी योगा व्यायाम करें विशेषज्ञ की

सलाह से करें। सबसे पहले व्यायाम करें फिर प्राणायाम को अंत में शवासन से पूरा करें। शांतिपूर्ण माहौल और साफ़ सुथरे

वातावरण में करें ।

 

स्नान :-

 

नहाने के लिए सामान्य तापमान का पानी लें। ज्यादा ठंडा या ज्यादा गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए । सौम्य साबुन का प्रयोग

करें। सप्ताह में एक से दो दिन उबटन , हल्दी , बेसन से स्नान करें । गर्भावस्था में सफ़ेद रंग का पदार्थ निकलता है। इसलिए

अपनी साफ़ सफाई का अच्छे से ध्यान रखें।

कई महिलाओं के निप्पल अंदर दबे हुए हुए होते हैं। उसके लिए नहाते समय निप्पलों को धीरे धीरे बाहर की और निकालें। स्तनों

को अच्छे से साफ़ करते रहें। नारियल तेल से मसाज करें । फिर निप्पल को बाहर की तरफ खींचें। निप्पल की समस्या डिलीवरी के बाद

काफी बढ़ जाती है। जिस वजह से शिशु माँ का दूध नहीं पी पाता है। अतः नहाते समय अपने निप्पल को जरूर बाहर निकालें ।

 

नाश्ता :-

अब आप तुरंत तरोताजा महसूस कर रही होती हैं। अब समय है नाश्ते का। हमेशा ताजा और गर्म ही खाएं बासी नाश्ता ना करें ।

नाश्ता कितना करना है ये गर्भवती की भूख पर निर्भर करता है। नाश्ता इतना ही करें जिससे भारीपन महसूस ना हो।

कभी आपको भूख महसूस ना हो तो गर्मियों में शेक लें सकती हैं और सर्दियों में सूप लें सकती हैं।

 

पूजा पाठ:-

सुबह का  समय पूजा पाठ को जरूर दें। ये आपको और आपके शिशु को सकारात्मक ऊर्जा देता है। गर्भावस्था में पढ़े जाने वाले

मंत्र पढ़े। पुराण , रामायण , रामरक्षास्तोत्र , विष्णु पुराण , रुद्राष्टकम आदि थोड़ी देर जरूर पढ़े । इससे आपके शिशु पर

आध्यात्मिक प्रभाव भी पड़ेगा ।

 

अगर आप अपने शिशु को आल राउंडर बनाना चाहती हैं तो उसके लिए पहले आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव लाने होंगे । आपको

अपने जीवन को अनुशासित करना होगा। सब कुछ समय पर । दुनिया में जितने भी लोग सफल और सुखी हैं उनके जीवन में नियमित

दिनचर्या जरूर शामिल होती है।

गर्भवती जो भी करती हैं उसका पूरा प्रभाव शिशु पर पड़ता है। और ये पेरेंटिंग की नींव है।  नींव अगर मजबूत है तो घर को

कोई भी आंधी तूफान नहीं हिला सकता है। यही संस्कारों की नींव गर्भावस्था में पड़ती है। जैसा हम चाहेंगे हमारी संतान वैसी ही

होगी ।

 

दिन का भोजन :-

 

गर्भवती का भोजन पूरी तरह संतुलित होना चाहिए। दिन के भोजन में हरी पत्तेदार सब्जी जरूर लें। रात को पत्तेदार सब्जी न खाएं। दाल ,

चावल, चपाती , सब्जी , छाछ , सलाद , दही आदि ले  सकती हैं। रायता  या दही दिन में ही लें। और ध्यान रखें दाल और दही साथ में ना

लें । दो प्रोटीन एक साथ नहीं लेने चाहिए । इससे आपकी एसिडिटी जलन की समस्या और बढ़ सकती है।  जिस दिन रायता या दही दिन

में लें उस दिन दाल रात को लें सकती हैं।

हरी पत्तेदार सब्जियों को लोहे की कड़ाही में बनाने से उसमें आयरन की मात्रा और बढ़ जाती है। सप्ताह में तीन बार हरी पत्तेदार

सब्जियाँ लें । लहसुन, हरी मिर्च , तला हुआ , बहुत तीखा खाने से बचें।

मौसमी सब्जियों का ही सेवन करें। दिन के भोजन के साथ छाछ में भुना जीरा पाउडर और सेंदा नमक डालकर जरूर पीयें। अगर

आपका अचार का मन हो तो थोड़ा ही लें । अचार में नीम्बू या आंवले का अचार स्वास्थ्यप्रद  होता है। पर अचार कम ही लें। क्योंकि

एसिडिटी की समस्या इससे बढ़ सकती है।  मिठाइयाँ भी कम ही लें घर पर बनी मिठाइयाँ खा सकती हैं।

 

दोपहर का आराम :-

 

दोपहर के भोजन के बाद सोने से पाचन क्रिया कमजोर होती है। इसलिए बजहोजान करते ही तुरंत ना सोएं। भोजन करने के एक घंटे

बाद सो सकती हैं। यह आपके और शिशु दोनों के लिए अच्छा रहेगा। इस बीच के समय में आप कोई हल्का फुल्का काम कर सकती है।

ये समय आपकी हॉबी के लिए सबसे अच्छा है। साथ ही आपका शिशु भी कलात्मक बनेगा। इससे गर्भवती और शिशु को मानसिक  सुख

और शांति मिलती है। एक घंटे बाद आप आराम या सो सकती है। एक से डेढ़ घंटे तक ही दिन में सोएं । सोते समय अपनी बायीं तरफ

सोएं। इससे शिशु को आराम मिलता है। उठने के बाद अपने हाथ मुँह धोकर किसी भी ऋतुफल का सेवन करें । आम , नारंगी , सेव ,

अंगूर, अमरुद , अनार , लीची , केला , खरबूजा ले सकती है। नारियल खाने से शिशु  के बाल घने होते है। फल का मन ना हो या सर्दी

अधिक हो तो सूखे मेवे ले सकती हैं। अंजीर , किशमिश , बादाम , अखरोट , मखाने ले सकती हैं।

 

शाम का नाश्ता :-

 

शाम को नाश्ते में हल्का फुल्का लें। जैसे गर्मियों में श्रीखंड , शेक लें सकती हैं। सर्दियों में सूप लें सकती है। इडली , खमण , फलों की

स्मूथी, मिल्क शेक , या मेवे के साथ आधा गिलास दूध लें सकती हैं।

 

सांयकालीन प्रार्थना :-

सूर्यास्त के समय घर में दिया अवश्य जलायें। तुलसी में घी का दिया जलायें । इस समय रामरक्षास्तोत्र , अथर्वशीर्ष , हनुमान चालीसा ,

श्रीमद्भगवत्गीताजी का पाठ कर सकती है।

अपने धर्म के अनुसार इस समय जरूर प्रार्थन करें ।

 

रात का भोजन :-

रात के भोजन और सोने में दो से तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। इसलिए रात्रि को गर्भवती को जल्दी भोजन करना चाहिए । रात को

हल्का ही भोजन लें । पत्तेदार सब्जियाँ दही , खीरा , रात को ना खाएं। रात के भोजन के बाद पैदल चलें। कम से कम आधा घंटा और

अधिक से अधिक एक घंटा अवश्य चलें । अपनी छत पर नहीं तो एक से दूसरे कमरे में घूमें। भोजन करते समय टीवी या कोई अन्य

काम ना करें । भोजन को देखते हुए और उसके स्वाद का अनुभव करते हुए खाएं । ऐसे किया गया भोजन 100 गुना लाभ देता है।

 

सोने का समय :-

सोने जाते समय मन को पूरी तरह शांत रखें। अपने पति के साथ गर्भस्थ शिशु से बातें करें । फिर 5 से 10 मिनिट आँखे बंद कर ध्यान

करें और सोने जाएं। सोते समय हल्का संगीत भी सुन सकती हैं। अगर नींद आने में कठिनाई आ रही हो तो हाथ पैर और शरीर ढीला

छोड़कर आँखे बंद कर लें । ऐसा करने से आपको अच्छी नींद आएगी ।

 

हमारा उद्देश्य आपकी सभी छोटी बड़ी समस्याओं का निराकरण है। हमारे बोला में आपने गर्भवती और गर्भस्थ शिशु की दिनचर्या को

जाना। हम ऐसे ही आपके लिए पूरी तरह विश्वसनीय और शोधपूर्ण जानकारियाँ लाते रहेंगे ।

हमारे ब्लॉग से जुड़े रहने  के लिए आपका धन्यवाद ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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