गर्भावस्था में व्यायाम और प्राणयाम

गर्भावस्था में व्यायाम और प्राणायाम का महत्त्व

 

आज भागती – दौड़ती दुनिया में हमारे पास स्वयं के लिए समय ही नहीं है। आज  पति पत्नी दोनों ही जॉब में है । और जो

महिलायें गृहणी हैं उनके पास भी इतना काम नहीं होता जिससे उनका शारीरिक श्रम हो।

आज से 20-25 साल पहले घर की महिलायें चक्की चलती थीं, अनाज कूटना , कुएं से पानी निकलना , रसोई में नीचे बैठकर

भोजन बनाना और न जाने कितने काम महिलायें स्वयं करती थीं। जिससे उनका शारीरिक परिश्रम भी हो जाता था।

परन्तु आज समय बदल गया है आज हमारे पास हर काम के लिए एक मशीन या सहायक है। तो हमारा शारीरिक परिश्रम

जितना होना चाहिए उतना नहीं हो पाता है। जिस वजह से हमें व्यायाम की बहुत आवश्यकता है।

गर्भावस्था का व्यायाम और सामान्य  दिनों के व्यायाम में बहुत अंतर होता है। अगर गर्भवती ने  थोड़ी भी असावधानी रखी तो

गर्भपात हो सकता है।

 

grbhavastha me yog pranayam

 

 

आइये जाने गर्भावस्था में व्यायाम और प्राणायाम से सम्बंधित  बातें जिनका की हर गर्भवती को ध्यान रखना चाहिए :-

 

1    गर्भवती को योग या प्राणायाम किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए।

2    अपने डॉक्टर को जॉंच कराकर उनकी सलाह के अनुसार ही व्यायाम करें।

3     जिनका बार बार  या कभी गर्भपात हुआ हो उन्हें व्यायाम नहीं करने की सलाह दी जाती है।

4    प्राणायाम में सांस कब लेनी है कब छोड़नी है और कितनी देर तक एक गर्भवती सांस रोक सकती है।  ये सब विशेषज्ञ के

निर्देशन में करने से ही लाभ होता है।

5    व्यायाम नाश्ते या खाने के बाद न करें। खाली पेट करें । शौच के बाद करें । गर्भवती आधे से पौन घंटे पहले दूध , चाय , जूस

ले सकती हैं।

6    व्यायाम साफ़ सुथरी और शांत जगह पर करें। ताकि आप उसका आनंद ले सकें।

7    व्यायाम के तुरंत बाद कुछ खाना पीना नहीं चाहिए । और ना ही गर्भवती को कोई काम करना चाहिए। थोड़ी देर तक शांति

से विश्राम करें ।

8    रोज आधे से एक घंटे तक भोजन के बाद गर्भवती को टहलना चाहिए । यदि डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी है तो ना

टहलें।

9    अगर किसी व्यायाम से आप को परेशानी महसूस होती है तो वह व्यायाम न करें ।

10    जिनका पहला शिशु समय से पहले हुआ हो उन गर्भवतियों को भी व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है।

11    रक्त स्त्राव या स्पॉटिंग होने पर भी व्यायाम न करें ।

12    उल्टे लेटकर करने वाले व्यायाम ना करें । ये गर्भस्थ शिशु के लिए ठीक नहीं है। इससे बच्चे दानी में रक्त प्रवाह कम  होता

है।

13    जो व्यायाम या प्राणायम सर झुकाकर किये जाते हैं उन्हें ना करें ।

14    जिनमें झटका लगे , मुड़ना पड़े या शरीर में कंपन पैदा करे ऐसे व्यायाम नहीं करने की सलाह दी जाती है।

15    अनुभवी और प्रमाणित व्यक्ति के मार्गदर्शन में ही योगा, प्राणायाम करें।

16    शरीर की सुविधा के अनुसार करें । ज्यादा शरीर पर जोर ना डालें।

17    एरोबिक्स बिना डॉक्टर की सलाह के ना करें ।

18    व्यायाम से पहले हमेशा वार्मअप करें ।

19    अगर स्तनों में ढीलापन महसूस हो तो अच्छी ब्रांड की ब्रा पहनें।

20    पानी का सदैव  ध्यान रखें। पानी पीती रहें अगर शरीर को महसूस हो तो ।

 

 

कब और किस समय गर्भावस्था में व्यायाम बंद करना चाहिए :-

 

1    अगर आपकी सांस फूलती हो ।

2    दिल की धड़कन तेज महसूस हो या सही नहीं चल रही हो।

3    व्यायाम के समय आपको सर दर्द महसूस होता हो।

4    अगर गर्भवती सीने में दर्द महसूस करे।

5    चक्कर आने पर या आपका  जी मिचला रहा हो तो व्यायाम बंद कर दे।

6    मांसपेशिया अगर कमजोर हैं तो व्यायाम बंद कर दें। 

7    पैरों, हाथों, पिंडलियों में दर्द महसूस होता हो तो व्यायाम नहीं करना चाहिए ।

8    अगर आप पेट में दर्द महसूस करती हैं तो उसी समय व्यायाम बंद कर दें ।

 

गर्भावस्थ में व्यायाम से होने वाले लाभ :-

 

1    गर्भवती को मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है।

2    प्राणायम अच्छी नींद में भी सहायता करता है।

3    थकान, पीठ दर्द और कब्ज में भी आराम देता है।

4    गर्भावस्था में व्यायाम गर्भवती के बड़े हुए वजन को सहन करने में सहायक होता है।

5    मांसपेशियों के आकार को बढ़ाता है और शक्ति देता है।

6    व्यायाम , प्राणायाम गर्भवती के मूड को अच्छा रखता है। मन को शांति देता है।

 

प्रसव के कितने समय बाद प्राणायाम शुरू किया जा सकता है :-

 

प्रसव के बाद महिला अपने डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम और प्राणायाम शुरू कर सकती हैं।  यदि साधारण प्रसव है तो

डॉक्टर  के अनुसार व्यायाम कब से शुरू करना है जानकारी ले सकती हैं।

अगर प्रसव सिजेरियन है तो सामान्यतः 6 महीने तक व्यायाम नहीं करने की सलाह दी जाती है। उसके बाद आप अपनी डॉक्टर

से परामर्श  अवश्य लें । 

यहाँ मैं आपको किसी प्रकार के व्यायाम के बारे में नहीं बताउंगी । क्योंकि सभी महिलाओं की शारीरिक स्थति अलग होती है।

कई बार जो व्यायाम कई महिलाओं के अनुकूल होता है। वही किसी अन्य महिला के शायद अनुकूल ना हो।

इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि आप अपने डॉक्टर की सलाह और विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में योगा ,  प्राणायाम, व्यायाम

शुरू करें। और अपनी आने वाली संतान को एक स्वच्छ और खुशनुमा माहौल में रखें ।

 

हमारे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद । गर्भावस्था से सम्बंधित सभी जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें ।

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