गर्भावस्था में गर्भवती क्या करें क्या ना करें
पहले तीन महीने में गर्भ बहुत कोमल और नाजुक होता है। इन शुरुआती दिनों में बहुत सावधानी की जरुरत होती है। इस समय
में ना तो हमें लापरवाह होना है और ना ही ज्यादा पैनिक होना है। बस मन और बुद्धि को शांत रखना है और अपना व गर्भस्थ
शिशु का ध्यान रखना है।
डॉक्टर की सलाह पर आराम या काम करें। यहाँ हम गर्भावस्था में गर्भवती को क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में
जानेंगे।
गर्भावस्था में क्या ना करें :-
* पहले तीन महीने में यौन सम्बन्ध नहीं बनायें इससे गर्भ को हानि हो सकती है।
* ज्यादा भारी सामान या ज्यादा भारी काम ना करें।
* देर रात जागने से भी गर्भवती और शिशु पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए गर्भवती को पूरे 7 से 8 घंटे की नींद लेनी
चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए।
* मांसपेशियों पर ज्यादा ताकत और जोर नहीं देना चाहिए।
* गर्भवती महिला को पेट के बल नहीं लेटना चाहिए । ये गर्भ के लिए हानिकारक हो सकता है।
* गर्भवती को ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहना चाहिए।
* ज्यादा आगे की तरफ या नीचे की और गर्भिणी को नहीं झुकना चाहिए।
* ज्यादा तीखा या तला भुना खाने से एसिडिटी या जलन की समस्या हो सकती है। जो कि माता और शिशु दोनों के लिए
अच्छा नहीं है।
* बहुत ज्यादा आराम भी गर्भवती के लिए हानिकारक है। डॉक्टर की सलाह पर ही बेड रेस्ट करें नहीं तो घर के सामान्य काम
कर सकती है।
* गर्भवती को ज्यादा यात्राएं करने से बचना चाहिए। कई बार तेज झटका लगने से भी गर्भपात हो जाता है।
* पपीता , अन्नानास, सहेजने की फली , एलोवेरा जैसे फल नहीं खाने चाहिए।
* ज्यादा खट्टा ना लें इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
* एक्सरसाइज या योग प्राणायाम बिना डॉक्टर की सलाह के ना करें।
* शराब, सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों का प्रयोग ना करें ।
* तनाव या स्ट्रेस से दूरी बनाकर रखें। ये गर्भस्थ शिशु के लिए भी अच्छा नहीं है। इसलिए खुशनुमा माहौल में रहे। और मन को
जितना हो सके शांत रखे।
* ज्यादा चाय , कॉफी पीने से एसिडिटी या जलन की समस्या हो सकती है। इसलिए इनसे थोड़ा दूरी बनाएं या कम प्रयोग
करें।
* जितना हो सके शाकाहारी भोजन करें। आज के समय में वैसे ही कई वायरस जन्म लें रहे हैं। शाकाहारी भोजन शिशु और माँ
दोनों के लिए ही हितकर होता है।
* ज्यादा गरम पानी से ना नहाएं । ये गर्भ को हानि भी पंहुचा सकता है। इसलिए गुनगुने पानी से नहाएं इससे आपकी इम्युनिटी
( रोग प्रतिरोधक क्षमता ) भी अच्छी रहती है।
* हील की सैंडल्स को पूरी तरह से गर्भावस्था में दूर रखें ।
* जंक फ़ूड को ना खाएं तो अच्छा होगा। पहला तो ये कब्ज कर सकते है। दूसरी बात एसिडिटी या पेट का इन्फेक्शन भी हो
सकता है।
* डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा ना लें ।
* ज्यादा डरावने या तनाव वाले टीवी सीरियल या मूवीज ना देखें। इसका सीधा प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। जिससे बच्चे
का व्यवहार डरा , सहमा , हो सकता है।
* बहुत तंग कपडे ना पहनें । जितना आरामदायक कपडे पहनेंगी उतना स्वयं और शिशु को आराम महसूस होगा।
* माइक्रोवेव का प्रयोग बंद कर दे तो अच्छा होगा। रिसर्च में भी ये साबित हो चुका है कि इससे निकलने वाली तरंगे गर्भवती
के लिए और गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक होती हैं।
* कुछ मछलियाँ जैसे ट्यूना ,किंग, टेलीफ़िश , मैकेरल ना खाएं । इन सभी में मरकरी अधिक होता है। इससे शिशु के दिमाग
पर बुरा असर पड़ता है।
* मोबाइल से भी जितना हो सके कम प्रयोग करें । इससे निकलने वाले वाली तरंगे भी गर्भ के लिए फायदेमंद नहीं है।
* अपने पालतू जानवर से थोड़ी दूरी बनाकर रखें । इससे शिशु को किसी भी प्रकार की एलर्जी हो सकती है।
* पहले के तीन महीनों में कच्चे अंडे , कच्ची मछली , डिब्बाबंद फ़ूड , चीज़ , मीट जैसे चीज़ों को ना खाएं। इनमें कुछ
बैक्टीरिया होते हैं जो की गर्भस्थ शिशु के लिए सही नहीं होते है।
* प्रेज़ेर्वटिवेस , फ़ूड कलर्स , और प्रोसेस्ड फ़ूड से बनी चीजों को खाने से परहेज करें।
गर्भावस्था में क्या करें :-
* सबसे पहले प्रेग्नेंसी कन्फर्म करें। घर पर यूरिन टेस्ट किट रखें । या फिर डॉक्टर के पास भी जाकर जांच करा सकते है।
* सबसे पहले डॉक्टर से अपना चेकप कराएं।
* अगर डॉक्टर ने बेड रेस्ट नहीं कहा हैं तो घर के सभी काम करें । केवल भारी काम को छोड़कर ।
* डॉक्टर की सलाह पर यदि आवश्यक हैं तो यात्रा कर सकती है।
* पौष्टिक भोजन लें । इससे बच्चे को भी अच्छा खाने की आदत होगी । जो की एक अच्छी आदत है।
* अगर आप एक कामकाजी महिला हैं तो अपनी मेटरनिटी लीव पहले ही प्लान कर लें।
* दिन में एक बार कम से कम अपनी बायीं तरफ सोयें। इससे गर्भस्थ शिशु को आराम मिलता है।
* पति और पत्नी एक दूसरे को समय दें और घर का प्यार भरा वातावरण रखें।
* श्रीमद भागवत, रामायण या अपने धर्म के अनुसार अच्छी किताबें पढ़े। उन से जुडी कथाएं सुनें। ये आपके शिशु पर बहुत ही
सकारात्मक प्रभाव डालेंगी।
* पानी और तरल पदार्थ ज्यादा पियें। ये कब्ज से भी राहत देगा और गर्भावस्था में उचित मात्रा में तरल पदार्थ लेने से भ्रूण की
सुरक्षा होती है। 8-10 गिलास पानी जरूर पियें ।
* बच्चे की हलचल पर पूरा ध्यान दें । अगर लगातार बच्चे की हलचल में कोई परेशानी अनुभव करें तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क
करें।
* शिशु से कुछ समय के लिए जरूर बातें करें । ये माँ और शिशु की बॉन्डिंग के लिए भी अच्छा है। 20 वें हफ्ते में बच्चे की
भावना का विकास हो जाता है। 24 वें हफ्ते के बाद से बच्चे प्रतिक्रित्य भी देने लगते हैं।
* अपने खर्चे का पूरा बजट बनायें। ये आपके समय और डिलीवरी के बाद होने वाले मानसिक तनाव को भी कम करेगा।
* टीके लगवाए पहले महीने में टिटनेस का टीका लगवाना आवश्यक होता है। डॉक्टर से और भी टीकों के बारे में जानकारी
लें।
आपके और आपके परिवार के एक सुखद अनुभव के लिए आपको बधाई । गर्भावस्था का कुछ समय ही ऐसा होता जब हम
थोड़ी परेशानी अनुभव करते है। जब छोटी सी नन्ही सी जान हमारी गोद में आती है तो सारी परेशानी छूमंतर हो जाती है।
इसलिए इस समय हमेशा खुश और सकारात्मक रहें।
हमारे ब्लॉग से जुड़े रहने के लिए आपको धन्यवाद।