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पेरेंटिंग

 

 

 

नमस्कार

maapaparenting में आपका हार्दिक स्वागत है।

यह ब्लॉग उन सभी दम्पति को समर्पित है जो माता पिता बनने जा रहे है या बन चुके है।

अगर आप पेरेंटिंग से सम्बंधित किसी भी समस्या का हल चाहते है तो आप बिलकुल सही जगह पर है।

 

About Me (मेरे बारे में)

 

मेरा नाम डॉक्टर कमलवरा कौशल है। मैं एक ग्रहणी होने के साथ दो प्यारे से बच्चो की माँ हूँ। मैंने Economic Administration and Financial Management में M.Phil किया है। Banking subject में PhD किया है और Bachelor of Education भी हूँ । मैं एक सलाहकार के रूप में आपकी सहायता करूँ यही मेरी कोशिश रहेगी।

 

 

Reason for writing parenting  Blog (मेरा  पेरेंटिंग ब्लॉग बनाने का उद्देश्य)

 

आज के समय में सभी माता पिता जागरूक है। वो अपने बच्चो को अच्छी परवरिश के साथ अच्छा वातावरण भी देना चाहते है। और ये अच्छी पेरेंटिंग स्किल्स से ही संभव है।

मेरा उदेश्य सभी माँ बाप को बच्चे की सही और उचित परवरिश कैसे हो ये बताना है। आज के समय में अधिकतर माता पिता अपने बच्चो से जुडी कई समस्याओ का सामना करते है ।

सभी माँ और पिता अपने बच्चो के साथ एक खुशहाल जीवन जिए। और अपने समाज , राष्ट्र और पूरे विश्व को एक स्वस्थ वातावरण दे सके। इसी उद्देश्य से मैंने इस ब्लॉग की शुरुआत की है।

 

 

 

 

Need of Parenting Blog(पेरेंटिंग ब्लॉग की जरुरत)

 

जैसे की आपको पता चल गया होगा की मेरा विषय parenting ( परवरिश ) है। ये एक तपस्या है जिसका फल बहुत मीठा होता है। जो बिना कड़ी साधना के नहीं मिल सकता है। स्वादिष्ट फल के लिए हमे कुछ तो चुनौतीपूर्ण करना होगा।

आजकल माता पिता गर्भावस्था से बच्चे की युवावस्था तक किसी न किसी समस्या का सामना करते है। अगर हम गहराई से सोचे तो ये परेशानी होती नहीं है बल्कि हम इसे समस्या बना लेते है।

मेरा इस ब्लॉग को लिखने का उद्देश्य एक सुखी पारिवारिक जीवन जीने की कला को जानना है।

जब एक बच्चे को हम जीवन में लाने का विचार करते है तभी से हमारा सीखने का समय शुरू हो जाता है।

एक बच्चा अपने माता पिता को सच में जीवन क्या है और इसे कैसे जीना चाहिए सिखाता है।

हमे तो सच में अपने बच्चो को धन्यवाद देना चाहिए । की वो हमारी माँ के बाद हमारे जीवन के दूसरे गुरु है। ये ही हमे जिम्मेदारियां क्या होती है सिखाते है। ये ही है जो हमारे जीवन में एक नया रंग भर देते है।

हमे उनके प्रति लापरवाह नहीं होना है पर साथ ही अधिक चिंतित भी नहीं होना है।

हमारे जीवन का एक चक्र होता है जिसे हम फॅमिली लाइफ साइकिल कह सकते है। इसे हम कुछ बिन्दुओ से जानेंगे :-

 

* जब हम अपने माता पिता पर आश्रित होते है

* फिर जब हमारी शादी होती है

* वो समय जब हम माता पिता बनते है

* जिस समय हम अपने बच्चो के मित्र और मार्गदर्शक होते है

* और जब हम दादा – दादी या नाना – नानी बनते है।

आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी

बोया बीज बबूल का तो आम कहा से होय ।

मतलब अगर हम बबूल का बीज बोयेंगे तो उसमे आम तो नहीं आएंगे। ये कहावत हमारे जीवन पर पूरी तरह लागू होती है।

हम गर्भावस्था के समय ही एक बीज बोते है। वही धीरे धीरे बालवस्था तक पौधे का रूप लेता है। फिर वही युवा होने पर अपनी जड़े जमा लेता है बाद में वो हमे फल के रूप में मिलता है।

जब हम एक बीज को फल देने वाले वृक्ष के रूप में इतना सींचते है तो फिर बच्चे तो हमारी अमुल्य धरोहर है। उनके लिए हमे अपने जीवन की सबसे कड़ी तपस्या तो करनी ही होगी।

अच्छी पेरेंटिंग की आज के समय में सबसे ज्यादा जरुरत है। अधिकतर लोगो का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं है। और इसका बीज हमे माता पिता बनने का विचार आने के समय ही बोना पड़ेगा। तभी हम एक खुशहाल परिवार के साथ आन्नद ले सकते है।

हम सभी अपने जीवन के कई पड़ावों से गुजरते है :

 

* जब हम बच्चे की कल्पना अपने जीवन में करते है। यही समय गर्भावस्था का समय होता है

* दूसरी अवस्था जब छोटा सा शिशु हमारे जीवन में आता है। तब हम अपने 24 घंटे उसे ही समर्पित करते है।

* तीसरी अवस्था में बच्चा हमारी बाते समझता है और उस पर अपनी अभिव्यक्ति देता है। यह समय काफी कठिन लगता है । इस समय हम इनके कमांडर रूप में इनके ध्यान रखते है।

* चौथी अवस्था जिसमे बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है और एक नयी दुनिया का अनुभव करता है। यही वो स्टेज होती है जिसमे हम बच्चे के कोच के बनकर उनका ध्यान रखते है।

* पांचवी अवस्था जिसमे बच्चे युवा होते है। ये अवस्था सबसे चौनौतीपूर्ण होती है। जिसमे बच्चे के साथ मित्रता होना जरुरी है। यहाँ हम उनके कॉउंसलर बनकर उनकी मदद करते है।

* और अंतिम पड़ाव जहा युवा अपने जीवन की नयी शुरुआत करते है। वो खुद अपने जीवन के अनुभव लेते है। यहाँ हम एक कंसलटेंट के रूप में उनकी मदद करते है।

 

My Experience ( मेरे अनुभव )

 

मेरा मानना है कि   खुद ठोकर खाके सीखने से अच्छा है दूसरे की ठोकर से सीख लिया जाये । ठोकर खाकर सीखने में समय चला जाता है और जीवन समाप्ति की और बढ़ जाता है।

यह ब्लॉग गर्भावस्था से लेकर बच्चे की युवावस्था तक की सभी प्रकार की समस्याओ में आपकी मदद के लिए रहेगा।

ये ब्लॉग सभी प्रकार के शोध , पूरी  विश्वसनीयता और नयी सोच के साथ आपके सलाहकार के रूप में साथ रहेगा।

 

पेरेंटिंग से सम्बंधित सभी जानकारी के लिए आप हमसे जुड़े रहे।

 

आपका अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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