गर्भावस्था में होने वाली बीमारियाँ

 

गर्भावस्था में गर्भवती को होने वाली बीमारियाँ

 

गर्भावस्था में गर्भवती शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत से बदलाव महसूस करती है। कुछ  शारीरिक बदलाव गर्भावस्था की

वजह से से होते है और कुछ बीमारियाँ होती है। जिनका समय रहते पता चल जाना बहुत आवश्यक है। आजकल के भागदौड़

भरे जीवन में कई  शारीरिक समस्याएँ सामने आ रही है। और अगर ये गर्भावस्था का समय हो तो और सजग रहने की

आवश्यकता है।

 

 

ऐसे समय में चिंता नहीं चिंतन करें।  आइये जाने गर्भावस्था में होने वाली कुछ बीमारियों के बारे में :-

 

1.      मधुमेह :-

 

गर्भावस्था में शरीर में अनेक परिवर्तन होते है। उसमे से एक मधुमेह भी है। कई बार ये अनुवांशिकता ( हेरिडिटी ) की वजह से

भी हो जाती है। गर्भवती के माता पिता या नाना दादा के परिवार में किसी को यह समस्या है तो उसे भी हो सकती है। अधिकतर

ये समस्या अगर किसी गर्भवती को है तो वो केवल गर्भावस्था में ही होती है। और डिलीवरी के बाद 2 से 3 हफ्ते में रक्त में शर्करा

पुनः सही मात्रा में आ जाती है।

परन्तु कुछ महिलाओं में यह समस्या हमेशा के लिए बनी रहती है। इसलिए गर्भावस्था में खून की नियमित जाँच आवश्यक है।

अगर गर्भवती को मधुमेह ( शुगर ) है तो बच्चे का वजन भी अधिक होगा।  और शिशु का वजन अधिक है तो सर्जरी से ही प्रसव

करना पड़ता है। अगर गर्भवती को  प्रमेह रहता है तो शिशु के लिए खतरा हो सकता है। ऐसे में बच्चों में हृदय रोग, मधुमेह या

सांस लेने की समस्या हो सकती है।

वैसे ये बीमारी सामन्यतः 1 से 3 प्रतिशत तक महिलाओं में ही होती है । इसलिए ज्यादा घबराने की आवश्यकता नहीं है पर

लापरवाह होने की आवश्यकता भी नहीं है।  जिन महिलाओं का शरीर कमजोर और  शारीरिक बदलावों को सहन नहीं कर

पाता है वो ही गर्भावस्था में मधुमेह का शिकार होती है।

इसके कुछ लक्ष्ण जैसे – रात को तेज शौच आना , बार बार मूत्र के लिए जाना , क्षमता से ज्यादा भूख या प्यास लगना । अगर

ऐसे लक्ष्ण लगें तो एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

ऐसे समय में निम्न बातों पर अमल करें :-

*    अपने कहने और सोने का समय निश्चित करें ।

*    व्यायाम मधुमेह में सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। परन्तु बिना डॉक्टर की सलाह के ना करें । गर्भवती के लिए सबसे अच्छा

व्यायाम पैदल चलना होता है।

*    पर्याप्त नींद अवश्य लें।

*    पौष्टिक आहार लें ।

*    फल और सब्जियाँ अधिक खाएं।

*    तला भुना और चीनी का प्रयोग बंद कर दे।

*    समय पर डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवाइयाँ अवश्य लें।

 

2    बवासीर :-

 

इस समय शरीर में कई कई बदलाव होते है। हार्मोन में भी बदलाव आते  है। कब्ज की समस्या कई गर्भवतियों को होती है। कुछ

महिलाओं को पहले से ही बवासीर की परेशानी होती है। छठे महीने के बाद से बच्चे का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। जिसका

असर कमर और बड़ी आँत पर पड़ता है। ज्यादा तीखा , सूखा कहने से शौच करते समय जोर लगाने पर ,पानी कम पीने पर,

कब्ज रहने पर यह समस्या होती है।

इसका सबसे बढ़िया घरेलू उपाय एक कप गर्म दूध में एक चम्मच घी डालकर सोते समय पीयें। भोजन हमेशा ताजा करें , हरी

सब्जियाँ , फल अधिक खाएं । पानी ज्यादा पीयें क्षमतानुसार 8-10 गिलास । पेट साफ़ प्राकृतिक तरीके से करें। कब्ज के लिए

दवाई न लें ।

 

3    पैरों में सूजन का आना :-

पहली और दूसरी तिमाही में शिशु का आकार ज्यादा नहीं होता है। परन्तु तीसरी तिमाही में शिशु पूरी तरह विकसित हो चुका

होता है। इस समय बच्चे का वजन बढ़ता है। जिससे पैरो में सूजन आने लगती है। काफी समय तक एक ही जगह पैर लटकाकर

बैठना, ज्यादा देर तक खड़े रहने पर भी सूजन आ जाती है।

आराम करने पर यह सूजन कम भी हो जाती है। आराम करने पर सूजन कम ना होना, हाथों की अंगुलियों चेहरे पर सूजन आना

और कम नहीं होना। ये उच्च रक्त चाप की वजह से भी हो सकता है।  इसलिए अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। वैसे ये

तकलीफ डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है। मात्र 1 प्रतिशत महिलाओं में ये डिलीवरी के बाद भी बनी रहती है।

घबरायें नहीं समय समय पर अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।

 

4    खांसी :-

गर्भवती को सर्दी से, ठंडा खाने से, ज्यादा खट्टी चीजों से या गले में सूजन से भी खांसी हो सकती है। खांसी तेज होने या ज्यादा

दिन तक रहने से पे पर दबाव बढ़ता है। जिससे गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुँच सकता है। पहली तिमाही में इसका ज्यादा ध्यान

रखना पड़ता है। इसलिए अपने शरीर की तासीर के अनुसार ही कुछ खाएं या पीयें । इस समय खांसी ना होने दें।

 

5    पेचिश की समस्या :-

आयुर्वेद के अनुसार पेचिश होने से वायु की गति नीचे की दिशा में होती है। जिससे गर्भाशय के सिकुड़ने का खतरा रहता है और

उसी वजह से गर्भपात का भी डर रहता है।

यह गलत खान पान , बासी भोजन , ज्यादा मसालेदार भोजन , भूख ना होने पर भी खाना , अधपका भोजन करना , पानी का

अशुद्ध होने से द्रव बनकर पेचिश होता है। इसलिए ऐसा भोजन करने से बचें। इस समय पानी की कमी शरीर में हो जाती है। घर

में चीनी , नमक का पानी बनाकर पीने से फायदा होता है।

इसमें नींबू पानी पी सकते हैं। परन्तु नारियल पानी ना पियें क्यों कि यह पचने में थोड़ा समय लेता है। ठीक हो जाने के बाद लें

सकते हैं। काला नमक डालकर मुनक्का , अनार का रस लें सकते है।

इन सभी बीमारियों पर ध्यान देना जरुरी है।  इसलिए अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।

 

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