गर्भावस्था (Pregnancy) के 21 मुख्य लक्ष्णों की जानकारी
गर्भावस्था की नयी पारी में आप सभी का स्वागत है। ये प्रत्येक महिला के लिए एक सुखद और अजीब सा अनुभव होता
है। गर्भावस्था की शुरुआत में कई महिलाओं को अलग अलग परेशानियों का अनुभव होता है। सभी स्त्रियों में एक जैसे लक्ष्ण
हो ये आवश्यक नहीं है।
ये लक्ष्ण गर्भवती होते ही दिखाई नहीं देते है। इनका समय गर्भ स्थापना से लेकर 6 सप्ताह तक होता है। ये लक्ष्ण पूरे नौ महीने
नहीं चलते है। पहले तीन महीने थोड़ी परेशानी होती है। दूसरी तिमाही से काफी अच्छा महसूस होता है। कुछ महिलाओं में
उल्टियाँ होना या कुछ लक्ष्ण नौ महीने चलते है। लेकिन ये अपवाद स्वरुप है।
आज हम इन्ही लक्ष्णों के बारे में जानते और समझते हैं। ये सभी लक्ष्ण हर महिला में आम है। इसलिए किसी भी प्रकार से ना डरे।
जब तक कि कोई बड़ी समस्या न हो ।
हम यहाँ गर्भावस्था के कुछ प्रमुख लक्ष्णों के बारे में जानेंगे :-
1. मिचली और खाद्य अपच :-
जी मिचलाना और खाना न पचना गर्भावस्था के शुरुआती लक्ष्णों में से एक है। कई महिलाओं को उबकाई आती हैजिन महिलाओं का दिन भर जी मिचलाता है , उन्हें सुबह बिना ब्रश किये खाली पेट टोस्ट, मेरी गोल्ड जैसे सूखे बिस्कुटखाने चाहिए।
फिर 1 घंटे बाद कुछ खा सकते है। इससे जी मिचलाने में थोड़ा आराम मिलता है।
2. माहवारी बंद हो जाना :-
यह सबसे पहला और मुख्य लक्ष्ण है। लेकिन कई बार कुछ महिलाओं का समय तनाव या बिगड़ी हुई दिनचर्या से भी बढ़ जाता
है। महावारी 4 सप्ताह में बंद हो जाती है। जब माहवारी बंद हो जाये तो प्रेगनेंसी किट से टेस्ट घर पर ही करसकते है।
3. पेट के निचले भाग में दर्द महसूस होना :-
इस लक्ष्ण से हर महिला को थोड़ी घबराहट होती है। गर्भावस्था में जब गर्भाशय बढ़ता है , तो दोनों और एक एक लिगामेंट होते
है। जो दायें और बाएं और से पेट और जांघ के संधि क्षेत्र की और जाते है। जिसके कारण लिगामेंट में ऐठन होती है। जिसके
कारण ये दर्द महसूस होता है। ये दर्द अचानक से खड़े होने पर या सोते समय करवट लेने पर होता है। लेकिन ये दर्द कुछ ही
समय के लिए होता है। धीरे धीरे चलने और स्थिर कदम के साथ चलने से इस दर्द से राहत मिल सकती है। दोनों तरफ से पेट
को सहारा देते रहे अगर इस पर भी दर्द बना रहता है तो तुरंत डॉक्टर से मिले।
4. बार बार यूरिन (शौच) आना :-
ये पूरी तरह हार्मोन्स बदलाव की वजह से होता है। पीरियड ना आने के 4 सप्ताह में ऐसा होता है। जब हार्मोन्स बदलते है , तो
किडनी में रक्त्त संचार तेज हो जाता है। जिस कारण से मूत्राशय जल्दी भरता है और बार बार शौच आता है। इसमें मूत्राशय पर
दबाव पड़ता है। जिससे टॉयलेट रोकने की क्षमता कम हो जाती है। यह समस्या सभी गर्भवती को नहीं होती है। किसी किसी
को बिलकुल ही नहीं होती है किसी को कुछ दिनों तक और किसी को नौ महीने तक भी रहती है । सभी का अपने अपने शरीर
के अनुसार होता है।
5. पेट फूलना, कब्ज या गैस बनना :-
गर्भावस्था की शुरुआत में कब्ज गैस बनाना जैसी समस्याएं गर्भवती को महसूस होती है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस
समय शिशु के अंग विकसित होते है जिससे शरीर में कुछ असामान्य प्रक्रिया स्वाभिविक है। यह परेशानी कुछ ही समय के लिए
होती है । जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती है वैसे वैसे ये समस्या समाप्त हो जाती है। इस समय ज्यादा से ज्यादा फल , हरी सब्जियाँ,
रेशेदार सब्जी व फलों का सेवन करे।पानी भी सही मात्रा मे लें जिससे गैस में राहत मिलती है।
6. उल्टी जैसा महसूस होना या उल्टी होना :-
यह गर्भावस्था की सबसे आम समस्या है। पित्त प्रकृति की महिलाओ को ये समस्या ज्यादा होती है। किसी को कम उल्टियाँ
होती हैं। तो किसी को दिनभर होने से शरीर में काफी थकान और कमजोरी महसूस होती है। पानी पचाने में भी परेशानी
होती है।
इस तकलीफ को कम करने में कुछ सुझाव –
* अपने सोने और जागने का समय निश्चित करे।
* नियमित समय पर नाश्ता ,दिन का भोजन और रात का भोजन लें। 4-4 घंटे के अंतर से कुछ न कुछ खाना चाहिए ध्यान
रहे भारी भोजन नहीं लेना हैं वह पचने में समय लेगा।
* सुबह चाय या कॉफी न लें तो अच्छा होगा। दूध को भी थोड़ा थोड़ा करके ले।
* पित्त प्रधान महिलाओं को मीठा खाना चाहिए। सुबह आंवले का मुरब्बा लें सकती है। जिन महिलाओं को कफ की
समस्या रहती हो वो आंवले का सेवन न करे।
* बार बार उल्टी से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। 2.30से 3.30 बजे के बीच नारियल पानी, फलों का रस, शरबत
पी सकती हैं। मौसम ठंडा हो तो गरम दूध लें।
* अगर ज्यादा परेशानी महसूस कर रही हों तो डॉक्टर से जरूर मिले। उल्टी होना गर्भावस्था की सबसे सामान्य और आम
समस्या है।
7. पैरों और स्तनों में भारीपन महसूस होना :-
इस समय यह एक सामान्य प्रक्रिया है। शरीर में भारीपन पैरों में सूजन और भारीपन , स्तनों में भारीपन व खिंचाव महसूस
होना आम समस्या है। इस समय हमारे शरीर में कॉफी हार्मोनल बदलाव होते है। जो कोई चिंता की बात नहीं है। हां अगर सूजन
ज्यादा है तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें । कई बार ज्यादा सूजन बी पी की वजह से भी होती सकती है।
8. ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना :-
ब्लीडिंग या स्पॉटिंग गर्रने के 1 सप्ताह से 4 सप्ताह तक हो सकती है। इसमें या तो बहुत हल्की सी ब्लीडिंग होती है या स्पॉटिंग
(धब्बे ) होती है। एक शोध (रिसर्च) के अनुसार 28% महिलाओ इसके साथ हलके दर्द भी महसूस होते है। इससे बचने के
लिए कोई दवा पहले से चल रही हो तो उससे डॉक्टर की सलाह से ही लें। अगर ज्यादा जरुरी नहीं है तो न लें । स्मोकिंग और
शराब का सेवन न करें।
9. शरीर का तापमान बढ़ना :-
कई गर्भवती स्त्रियों को हल्का सा बुखार या तापमान बड़ा हुआ महसूस होता है। इससे बचाव के लिए पानी ज्यादा से ज्यादा
पीये। अगर ज्यादा परेशानी महसूस हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
10. मूड ठीक ना रहना या चिड़चिड़ापन रहना :-
जब शरीर में इतना बड़ा परिवर्तन हो रहा है तो चिड़चिड़ापन होना साधारण है। हम खुद कई बार नहीं समझ पाते हैं कि हम
क्यों गुस्से में है। शरीर में हार्मोनल बदलाव का ये एक हिस्सा है। ये भी अधिकतर पहली तिमाही में ही होता है।
11. कमरदर्द होना :-
कई बार महिलायें गर्भावस्था में कमरदर्द की भी शिकायत करती है। जो एक साधारण सी स्थिति है। पर अगर आपको कमर
दर्द ज्यादा महसूस हो रहा हो तो एक बार अपने डॉक्टर से बात करे।
12. कुछ भी बहुत ज्यादा खाने कि इच्छा (क्रेविंग ) होना :-
ये शरीर में होने वाला एक आम बदलाव है। जो लगभग सभी गर्भवती महसूस करती है। ज्याद तीखा या ज्यादा मीठा दोनों ही
शिशु के लिए ठीक नहीं है। अगर ज्यादा इच्छा हो रही हो तो टुकड़ो टुकड़ो में खा लिया करें।
13. सिरदर्द होना :-
गर्भावस्था की शुरुआत में कई गर्भवती स्त्रियों को हल्का हल्का सिरदर्द महसूस होता है इससे घबराने कि बात नहीं है। ये एक
साधारण से लक्ष्ण है ।
14. भूख में कमी आना :-
जब हमारे शरीर में इतना बड़ा बदलाव हो रहा है तो भूख का बढ़ना या घटना आम समस्या है। जैसे जैसे गर्भ बढ़ता है महिला
की भूख में सुधार होता है। अगर भूख तीन महीने बाद भी ना लगे तो डॉक्टर से अवश्य बात करें। अगर गर्भवती अच्छा भोजन
नहीं करेगी तो शिशु का भी शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होगा।
15. भोजन या उसकी खुशबू से अरुचि होना :-
ये बहुत ही आम समस्या है। इससे घबराने की जरुरत नहीं है। ये केवल शुरू के 3 महीनो में ही होती है। धीरे धीरे गर्भ बढ़ने के
साथ ये ठीक हो जाती है।
16. चक्कर आना :-
गर्भावस्था में चक्कर आने की शिकायत महिलायें करती है। ये लो ब्लड प्रेशर की वजह से होता है। जो महिलायें शारीरिक
रूप से पहले से कमजोर होती है। इस समय में तनाव , भागादौड़ी और अनियमित दिनचर्या की वजह से कमजोरी महसूस
करती है। कई बार महिलाओ का हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है । जिस वजह से उन्हें चक्कर आते है। गर्भवती इस समय
अपने आहार का जरूर ध्यान रखें।
17. जल्दी थकान महसूस करना :-
शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की वजह से गर्भवती थकान महसूस करती है। ब्लड शुगर कम होने से भी शरीर शिथिल या थोड़ा
सा काम करने पर ही थकान महसूस करता है। इसके लिए सबसे अच्छा है कि उचित मात्रा में प्रोटीन और आयरन को भोजन में
शामिल किया जाये।
18. मुँह में बार थूक आना :-
ये समस्या सभी महिलाओं को नहीं होता है। पर हां कई गर्भवती बार बार मुँह में थूक आना बताती है। इसके लिए सबसे अच्छा
है कि चूसने वाली टॉफी , सौंफ या मिश्री को मुँह में रखें।
19. स्तनों के निप्पल का रंग बदलना :-
इस समय कई बार हमारे रंग में भी परिवर्तन आ जाता है। सांवलापन बाद जाना या रंग में निखार आना आम है। जब हमारे
शरीर में हार्मोन में बदलाव होता है। तभी निप्पल का रंग भी बदलता है। या तो ये गुलाबी या श्यामलता रंग के दिखने लगते है।
ये गर्भावस्था का एक समान्य लक्ष्ण है। ये लक्ष्ण पीरियड मिस होने के 6 से 11 हफ्ते में दिखाई देते है।
20. ऐठन महसूस होना :-
महिलाओं को हल्की ऐठन भी कई बार महसूस होती है। भ्रूण के गर्भाशय की दिवार से जुड़ने पर ये महसूस होती है। गर्भवती को
पेट, पेल्विस या कमर के निचले हिस्से में ऐठन महसूस होती है। इसमें खिंचाव, गुदगुदी या खुजली जैसा महसूस होता है।
21. एसिडिटी या जलन होना
गर्भावस्था में पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। इस वजह से एसिडिटी , जलन महसूस होती है। 14 से 20 सप्ताह के बाद जैसे
जैसे शिशु बढ़ता है वैसे वैसे ये समस्या भी बढ़ती जाती है। जैसे जैसे शिशु का आकार बढ़ता जाता है डायफ्राम पर दबाव भी
बढ़ता जाता है। जिसकी वजह से जलन या एसिडिटी होती है। इस समस्या को कम करने के लिए खट्टे फल, चाय, कॉफी, सोडा
तली हुई और फैटी चीजों का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए।
हर महिला का शरीर अलग होता है। तो सबके लक्ष्णों में भी अंतर होता है। ऐसा नहीं होता कि सारे ही लक्ष्ण गर्भवती में हो। इन
लक्ष्णों से घबराने कि आवश्यकता नहीं है। ये जीवन के वो सुखद पल हमें देते हैं जिनका इन्तजार परिवार का हर सदस्य करता
है। बस इस समय थोड़ा सा संयम रखें। और देखें इसके आगे आने वाले पल कितने खुशनुमा होते हैं।
सभी गर्भवती स्त्रियों को नयी जिम्मेदारी और पारी के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं। साथ ही नन्हे या नन्ही के आने की खुशियों
की बधाई।
पेरेंटिंग से जुडी सभी समस्याओं के समाधान या सुझाव के लिए इसी तरह हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद