गर्भावस्था की दूसरी तिमाही

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में होने वाले परिवर्तन :-

 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में पिछले तीन महीनों की अपेक्षा अच्छा महसूस होता है। सच कहूँ तो तीनो तिमाही में सबसे अच्छा समय इसी तिमाही में बीतता है। तीन सीढ़ी पार करने के बाद अब आप अगली सीढ़ी पर है। इसके लिए आपको शुभकामनायें।

इस समय गर्भवती पहले से काफी अच्छा महसूस करती है। दूसरी तिमाही की शुरुआत 13 वें सप्ताह से 27 वें सप्ताह तक चलती है। इस समय दूसरी बार अल्ट्रासाउंड करवाया जाता है। आइये हम दूसरी तिमाही के बारे में जानते है।

 

दूसरी  तिमाही में होने वाले शारीरिक परिवर्तन :-

 

1    कुछ विशेष खाने का मन करना ।

2    इस समय गर्भवती का पेट भी बढ़ने लगता है।

3    कई महिलाओं को दूसरी तिमाही में पीठ दर्द की समस्या होती है। क्योंकि इस समय वजन बढ़ने लगता है जिस वजह से पीठ दर्द            होता है।

4    त्वचा में खिचांव आने से स्ट्रेच मार्क्स शरीर के हिस्से पर आने लगते है।

5    दूसरी तिमाही में गर्भवती के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है।

6    धीरे धीरे स्तनों का आकार भी बढ़ने लग जाता है। जिस वजह से कई बार स्तनों में अकड़न महसूस होती है।

7    इसी समय गर्भाशय भी बढ़ने लगता है।

8    दूसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु की हलचल भी  महसूस होती है।

9    कुछ महिलाओं को इस समय ज्यादा भूख लगती है।

10    कई महिलाओं में इस समय हाथ पैरों में सूजन की शिकायत होती है। अगर ज्यादा सूजन लगे तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करे।

11    कुछ गर्भवतियों को इस समय ल्यूकोरिया के समस्या बढ़ जाती है। अगर यौनि से सफ़ेद स्त्राव ज्यादा हो तो अपने डॉक्टर से मिलें।

12    कई गर्भवतियों को चक्कर की समस्या होती है।  जो कि आयरन की कमी से या फिर लो बीपी की वजह से होता है।

गर्भवती को अपनी बायीं तरफ सोना चाहिए इससे शिशु और माँ दोनों को आराम मिलता है।

 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु का विकास :-

 

दूसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु का वजन 23 ग्राम से लेकर 27 वें सप्ताह तक सामन्यतः 875 ग्राम तक हो जाता है। शिशु की लम्बाई 27 वें सप्ताह तक 36.6 सेमी के लगभग हो जाती है। यह एक सामन्य आकलन है।

चौथे महीने में शिशु पूरी तरह आकार ले चूका होता है। इस समय शिशु की जीभ का विकास होता है। हाथ पैर हिलाना, उबासी लेना , चूसना  जैसी क्रियाएं शुरू कर देता है।

इस समय कुछ अलग और विशेष खाने का मन करता है। घूमने का मन करता है, मिटटी या चौक खाने का मन करता है। जो कि माता और शिशु के लिए हानिकारक है।

पांचवे सप्ताह में शिशु ,माँ और पिता के स्पर्श को पहचानने लगता है। जब माँ सोती है शिशु भी तब सो जाता है। यही समय शिशु का वहां और लम्बाई बढ़ना शुरू हो जाती है।

छठे माह में गर्भस्थ  शिशु की त्वचा पर छोटे छोटे बाल आने लग जाते है। शिशु के नाखून बढ़ने लगते है। छठे महीने में सभी मांशपेशियों का विकास शुरू हो जाता है। छठे महीने में शिशु पूरी तरह से आवाजे पहचानने लग जाता है। यही वो समय है जब शिशु अपनी माँ की आवाज को पूरी तरह पहचानने लगता है।

इस समय गर्भस्थ शिशु की बुद्धि भी तेजी से बढ़ती है।

 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में ध्यान रखने योग्य बातें:-

1    इस समय शिशु की बुद्धि का विकास बहुत तेजी से होता है। अगर हो सके तो प्रज्ञाविवर्धन स्तोत्र हर रोज शिशु को सुनाये।

2    अगर गर्भवती को कब्ज की शिकायत रहती है तो काली मुनक्का या किशमिश खाएं।

3    शिशु से पेट पर हाथ रखकर बातें करना , संगीत सुनना , अच्छी कहानियाँ या कथाएँ सुनना चाहिए ।

4    मस्तिष्क को विकसित करने वाली किताबें पढ़ना चाहिए ।

5    संतुलित और समय पर गर्भवती को भोजन करना चाहिए।

6    अपने डॉक्टर की सलाह पर ही योग या प्राणायाम करना चाहिए ।

7    इस समय गर्भवती घर के सारे काम कर सकती है। भारी काम नहीं करे ध्यान रखे। यदि आपको डॉक्टर ने बेड रेस्ट के लिए कहा है तभी आराम करे । वरना अपने घर के सभी काम कर सकती है।

8    गर्भवती जितना हो सके खुश और शांत रहे । ये आपके और आपके शिशु के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। खुश रहना सीखें।

9    पति पत्नी के आपसी सम्बन्ध मधुर होने चाहिए । ये आपके शिशु पर सीधे प्रभाव डालेगा ।

10    अधिक भारी भोजन करने से बचें। टुकड़ों में भोजन करे ।

11    बहुत अधिक तीखा या तला भुना न खाएं ।

12    ज्यादा गर्म तासीर की चीज़ें ना खाएं ।

 

ये कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ थी जो हमने आपसे शेयर की है। गर्भावस्था पर  पेरेंटिंग टिप्स के लिए आप इसी तरह हमसे जुड़े रहे।

हमारे ब्लॉग से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद ।

 

 

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