गर्भावस्था की तीसरी तिमाही

गर्भावस्था की तीसरी  तिमाही में होने वाले परिवर्तन

 

तीसरी तिमाही का समय बड़ा ही रोमांचक होता है। क्योंकि अब आप अपनी मंजिल की आखिरी सीढ़ी पर है। माता पिता दोनों को ही अपने नन्ने मुन्ने का बेसब्री से इन्तजार होता है।

तीसरी तिमाही का समय 7 वे से महीने से शुरू होता है। यह 28  वे सप्ताह से 40 वे सप्ताह तक होता है।  आइये हम तीसरी तिमाही में होने वाले सभी परिवर्तन के बारे में जानें:-

 

तीसरी तिमाही में गर्भवती में होने वाले परिवर्तन :-

 

1    सातवें महीने में सामन्यतः माँ का पेट काफी बढ़ जाता है। जिस वजह से गर्भवती को भारीपन महसूस होता है।

2    कई गर्भवतियों को  इस समय जांघो और पिंडलियों में दर्द महसूस होता है।

3    कई गर्भवतियों को 7 वे  महीने के बाद से बीपी की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसा होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करे।

4    इस समय एसिडिटी , जलन या भारीपन महसूस होता है। इसलिए इस समय भोजन पर बहुत ध्यान देने की जरुरत होता है।

5    कुछ गर्भवतियों को कब्ज से बवासीर की शिकायत होने लग जाती है। कब्ज के लिए दवाई से अच्छा है प्राकृतिक रूप से कब्ज को सही करे।

6    कई बार पेट में भारीपन , घबराहट , बैचनी , नींद न आना जैसी समस्याएं भी होती है।

7    बढ़ते हुए डायफ्राम की वजह से कभी कभी  गर्भवती को सांस लेने में परेशानी महसूस होती है।

8    तीसरी तिमाही में गर्भाशय अपने पीछे की रक्त वाहिका पर भी दबाव डालता है। जिस वजह से गर्भवती को पैरों में सूजन की शिकायत रहती है।

 

गर्भावस्था के तीसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु  का विकास :-

 

1    तीसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु की हलचल तेज हो जाती है।

2    सातवें महीने में गर्भ का पूरा विकास हो चूका होता है। कई बार सातवे महीने में भी प्रसव हो जाता है। परन्तु शारीरिक दृष्टि से ऐसे शिशु थोड़ा कमजोर होता है।

3    शिशु का मस्तिष्क इस समय पूरी तरह विकसित हो चुका होता है।

4    आठवें महीने में गर्भवती को सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है।

5    तीसरी तिमाही में गर्भस्थ शिशु की मांसपेशियाँ ताकतवर बन चुकी होती है।

6    इस समय शिशु का भी वजन काफी बढ़ चुका होता है।

7    आठवें महीने में शिशु गर्भ में बार बार घूमता है। जिस वजह से कुछ शिशु गर्भनाल में उलझ जाते हैं। जो एक सामान्य प्रक्रिया है। आप बस अपने डॉक्टर के पूरे संपर्क में रहें।

8    आठवें नवें महीने में शिशु अपनी पीठ सीधी कर सकता है। श्वसन गति को तेज कर सकता है।

9    नवें महीने में शिशु को सब साफ़ दिखाई देने लगता है।

 

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में ध्यान रखने योग्य बातें:-

 

1    तीसरी तिमाही में पैरों में आयी सूजन के लिए पैरों के नीचे तकिया लगाकर रखें।

2    बायीं तरफ करवट करके सोने से शिशु और माँ दोनों को आराम मिलता है।

3    अगर आप करवट नहीं लेट पाती हैं तो सीधे सोते समय एक तरफ अपने नीचे तकिया लगा लें।

4    कुछ स्त्रियों को इस समय स्तनों में से स्त्राव होता हैं तो घबराएं नहीं। समझ जाएं अब आपका शरीर पूरी तरह से शिशु के लिए तैयार है।

5    इस समय अगर आपको सूजन ज्यादा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

6    ज्यादा देर तक खड़े ना रहें । ज्यादा भारी काम ना करें । घर के सामन्य काम कर सकती है। शरीर पर किसी प्रकार का ज्यादा जोर ना डालें।

7    आठवें महीने में चलना , उठना, बैठना सावधानी और सरलतापूर्वक  करें ।

8    सफ़ेद पानी का आना , कमर पीठ में , कोख में दर्द , मुँह में ज्यादा पानी आना या घबराहट होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

9    ज्यादा घबराहट होने पर डीप ब्रीथिंग करें ।

10    ध्यान लगाएं। ये आपकी काफी मदद करेगा । पति पत्नी अपने संबंधों को मधुर रखें ।

11 अगर अचानक से ब्लीडिंग शुरू हो जाएं तो तुरंत डॉक्टर के पास जायें।

12    गर्भवती को अगर शिशु हलचल काम महसूस हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करे।

 

आपको हार्दिक बधाई आप आखिरी सीढ़ी पर है।  आपका शिशु  अब नयी दुनिया में आने को पूरी तरह  तैयार है। बस आपको थोड़ा ध्यान रखना हैं  और मन को भी  शांत रखें । सबसे बड़ी बात खुश रहें ।

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